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Thursday, November 26, 2015

Marigold Cultivation / गेंदे की खेती



गेंदा उगाकर आप बढ़ाओं|
कीटों पर भी काबू पाओ |

किसान भाइयों ! आज हम आपको किसान संचार जीरकपुर निकट चंडीगढ़ के सौजन्य से यह जानकारी देने जा रहे है  कि आप किस प्रकार फूल वाली फसल गेंदा की खेती करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं इसके आलावा जिस भूमि में गेंदा उगाया जाता है उस भूमि में सूत्र क्रमियों का भी नियंत्रण स्वत: हो जाता है जिसका सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष लाभ यह होता है कि सूत्र क्रमियों व कीटों की रोकथाम पर रसायनिक दवाओं के उपयोग में काफी कमी आती है |
       साथियों ! आयोजन चाहे धार्मिक,सामाजिक,सरकारी,व्यापारिक,राजनैतिक या परिवारिक हों इनकी सफलता की कामना के लिए और सफलता प्राप्ति को साँझा करने में फूलों का आदान प्रदान व अर्पण करना  या सजावट के लिए उपयोग पुरातन समय से ही शुभ व मन को प्रफुल्लित करने वाला रहता है | माला,गुलदस्ते और सजाने के साथ-साथ गेंदे की पंखुडिया रंगाई के काम भी आती है होम्यो भी तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी गेंदा का उपयोग किया जाता है |  आलू व अन्य सब्जी की फसलों के बीच गेंदा उगाने से हानिकारक कीट सब्जियों को हानि नहीं पहुंचाते तथा हानिकारक सूत्र कृमि भी निप्रभावी हो जाते है हमसे फूलों का नाता हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक बना रहता है |
        यह कहना भी कुछ गलत नहीं होगा कि प्यार के इजहार का सबसे प्रभावी व मनभावन माध्यम भी फूलों को ही माना गया है | फूलों की इसी निरंतर बढ़ती महत्ता के कारण आज फूलों विशेषकर गेंदा के फूलों की खेती एक व्यवसाय का रूप ले चुकी है विशेषकर बड़े शहरों के चारों ओर के निकट क्षेत्रों में गेंदा की खेती बहुत ही लाभदायक सिध्द हो रही है |तो भाइयों आप भी गेंदे की खेती अपनाकर अपनी आप को बढ़ाते के साथ-साथ प्राकृतिक फसल सुरक्षा कवच का भी फायदा उठाइयें | 
इस प्रकार करें गेंदा की खेती:-
 भूमि:- गेंदा की खेती के लिए 7 से 7.5 पी.एच मान वाली उपजाऊ रेतीली भूमि सबसे अच्छी रहती है वैसे दोमट व बलुई दोमट में भी इसकी खेती की जा सकती है |
किस्में :-
 1.हिसार व्यूटी :- यह बौने आकार की किस्म है | जिस पर40- 45 दिन में फूल आ जाते हैं भूमि की सजावट व सुन्दरता के लिए बहुत अच्छी है तथा लम्बे समय तक फूल देती है इसके फूलों की उपज 105 कुवंटल प्रति एकड़ है |
 2.हिसार जाफरी :- यह किस्म भी भू सजावट के लिए उत्तम तथा अधिक पैदावार देने वाली है | रोपाई के 60-65 दिन बाद इससे फूल मिलने लगते है | इसके फूल लम्बे समय तक रहते हैं तथा फूलों की उपज 75 कुवंटल प्रति एक मिल जाती है |
 3.अफ्रीकन गेंदा :- इस ग्रुप में अफ्रीकन ज्वायंट ,आरेन्ज,अफ्रीकन ज्वायंट यैलो,अफ्रीकन ज्वायंट लेमन यैलो,क्रेकर जैक ,टिटैनिया मैमोथ और गोल्ड स्मिथ प्रभुख है |
 4.फ्रेंच गेंदा:- फ्रेन्च गेंदा की रस्टी रैड,बटर स्काच रैड लोकल किस्म पंसद की जाती है |
 बीज की मात्रा :- गेंदे का उत्पादन बीच से नर्सरी तैयार करके किया जाता है एक एकड़ के लिए पौध तैयार करने हेतु 250    से        400 ग्राम काफी रहेगा |
 पौध तैयार करना:- माह अप्रैल से सितम्बर तक गेंदे की नर्सरी की बुवाई 10 सेटीमीटर ऊँची उठी हुई 1 मीटर चौड़ी तथा 2.3 मीटर लम्बी क्यारियों पर लाइनों में करें बुवाई के बाद लाइनों को गोबर की खाद की हल्की परत से ढक दें और उसके बाद क्यारियों को घास या पत्तियों से ढक दें | तथा क्यारियों की मिटटी का 2 ग्राम कैप्टान को प्रति 5 लीटर पानी की दर से घोलकर उपचार करें |
पौधा रोपण :- जब नर्सरी में पौधे 3 से 4 पत्ती वाले हो जायें तब खेत में लाइन से लाइन 40 सेटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेटीमीटर रखते हुए पौध की रोपाई कर दें तथा रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें |
खाद व उर्वरक :- पौध रोपण के लिए चुने गये खेत में 15 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ मिलाकर जुताई करें | बुवाई के समय प्रति एकड़ 100 किलोग्राम यूरिया 500 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट तथा 60 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश डाल दें | यूरिया खाद की शेष 2/3 मात्रा को दो बराबर भागों में रोपाई के 5 सप्ताह और 8-9 सप्ताह बाद डालें |
सिंचाई :- सर्दियों में 10 से 12 दिन के अंतर से तथा गर्मियों में 5 से 6 दिन के अंतर से सिंचाई करनी चाहिए |
अंत क्रियांए :- दूसरी सिंचाई के बाद मिटटी बत्तर आने पर पौधों की जड़ों पर मिटटी चढायें तथा खरपतवारों को निकालते रहें | अफ्रीकन किस्म के पौधों की चोटी नोच दें | ताकि अधिक शाखाएँ बन सकें और फूल उत्पादन बढ़े | खाली रह गये स्थानों पर नये पौधे लगायें | यह भी ध्यान रखें कि खेत में पानी खड़ा न रहे |
फूलों की तुड़ाई :- साथियों ! फूलों को तोड़कर बाजार भेजने तक की प्रकिया अच्छे दाम प्राप्त करने में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है | इसलिए गेंदा के पूरी तरह खिले फूलों को सुबह सुबह या शाम के समय  डंठल के थोड़े से भाग सहित काटकर या तोड़कर तुरंत पालीथीन के लिफाफों या बांस की टोकरियों में अच्छी तरह ढीला रखते हुए पैक करके तुरंत बाजार भेज दें | ध्यान रखे अधिक धूप का असर फूलों पर न आयें |
पैदावार:- इस प्रकार गेंदा के ताजा फूलों की 180 से 200 कुवंटल उपज प्रति एकड़ प्राप्त हो जाती है |
बीमारियों :- 
आर्द्र गलन :- यह बीमारी नर्सरी में पौध तैयार करते समय आती है | इसकी रोकथाम के लिए 2 ग्राम कैप्टान या 1 ग्राम ब्रासीकोल प्रति 10 लीटर पानी की दर से घोलकर नर्सरी की मिटटी का उपचार करना चाहिए | 
पत्तों का धब्बा व झुलसा रोग :- इस रोग के कारण पत्तियों के निचले हिस्सों पर भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जिसके कारण पौधों की बढ़वार रुक जाती है | इस बीमारी के नियंत्रण हेतु 200 ग्राम डाइथेन एम-45 को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ फसल पर 15-20 दिन के अंतर से छिड़काव करें |

बीज उत्पादन :- अच्छी किस्म का बीज तैयार करने के लिए किस्म वार तथा रंग के अनुसार स्वस्थ पौधों का चयन करें | चुने गये पौधोंपर लगे स्वस्थ व अच्छे फूलों को टैग कर लें | सूखने पर इन चुने हुए फूलों के बाहर वाले हिस्से का 3-4 चक्रों का बीज अलग एकत्र कर ले तथा बीज वाले बीच को बीज के लिए इक्कठा न करें | 

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