बैंगन की खेती
बसंत काल व
गर्मियों में उत्पादन देने वाले बैंगन की पौध हेतु मध्य,उत्तर पूर्व व उत्तर
पश्चिम भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए अक्टूबर से नवम्बर तक का समय उत्तम है | बैंगन हमारे देश के सभी भागों में उगायी
जाती है | बैगन अचार,सब्जी व खाद्य उद्योग
में भिन्न-भिन्न प्रकार के खाद्य बनाने में उपयोग होता है | बैंगन के अच्छे
उत्पादन के लिए लम्बा व गरम मौसम चाहिए | 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तामपान में इसे
सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है उत्तर भारत
के मैदानी क्षेत्रों में दिसम्बर से फरवरी तक रात को कम रहने वाला तामपान और पाला
बैंगन की फसल के लिए हानिकारक रहता है | बढ़िया जल निकास वाली 5.5 से 6.6 PH मान की
रेतीली दोमट
मिटटी बैंगन की खेती के लिए उत्तम है | पर्याप्त मात्रा में गोबर की
खाद या हरी खाद लगाने पर अधिक खारी मिटटी में भी इसकी खेती
की जा सकती है |
एक एकड़ में
बैंगन की पौध लगाने के लिए 3 मीटर लम्बी व 1 मीटर चौड़ी 20 क्यारियों की पौध काफी
रहती है 20 क्यारियां बनाने के लिए नियत भूमि का पलेवा करें उसमें लगभग एक गाड़ी
गोबर का खाद डालकर 3-4 जुताई व पाटा लगाकर भूमि को समतल कर लें | अब इस भूमि में
75 सेटीमीटर का फासले पर 20-25 सेटीमीटर ऊँची मेंढ़ तैयार करें| बैंगन की किस्में है:- बी.आर-112 बैंगन की अगेती
किस्म है इसके पौधे झाड़ी नुमा,फल गोल,बीज वाले ,गूदेदार तथा हल्के बैंगनी रंग के
होते है यह किस्म 100 कुवंटल प्रति एकड़ पैदावार मिलती है | हिसार श्यामल भी अगेती
किस्म है इसके पते हरे,फूल सफ़ेद-बैंगनी,फल 15 से 20 सेटीमीटर लम्बे,चमकदार व गहरे
बैंगनी रंग वाले होते हैं | इसकी उपज 125 कुवंटल प्रति एकड़ है | एच.एल.बी-25 किस्म
भी अगेती व अधिक तामपान के प्रति सहनशील है | इसकी पत्तियां हरी,फल 10-12 सेटीमीटर
लम्बे,3 सेटीमीटर मोटे तथा चमकीले बैंगनी होते है | बसंत काल में यह 90 से 100
कुवंटल प्रति एकड़ पैदावार देती है | हिसार प्रगति भी अगेती किस्म है इसके पते
हरे,फूल सफ़ेद –बैंगनी,फल 15-20 सेटीमीटर लम्बे चमकदार व गाढ़े बैंगनी रंग है उपज 130
कुवंटल प्रति एकड़ है | हिसार बहार अगेती व अधिक उपज देती है पौधे मझले व झाड़ी नुमा
होते हैं | एक पौधे पर लगभग 40-50 फल लगते हैं | ग्रीष्म काल की फसल 90 से 100
कुवंटल प्रति एकड़ उपज देती है | पी.बी.एच- 2 अगेती
संकर किस्म है | इसके पत्ते हरे
व फूल गुच्छों में आते हैं | फल छोटे,चमकदार,अंडाकार व बैंगनी होते हैं | इसकी उपज 250 से 275
कुवंटल प्रति एकड़ है | एन.डी.बी एच-1 भी अगेती लम्बे व गहरे बैंगनी रंग
के फलों वाली किस्म है 210 कुवंटल प्रति एकड़ उपज देती
है | पूसा हाईब्रिड-5 अगेती
लम्बे व गहरे बैंगनी फलों वाली एवं 200 कुवंटल प्रति एकड़ उपज देने वाली किस्म है
|
एक एकड़ में रोपाई
हेतु 200 ग्राम बीज काफी रहता है नर्सरी में बीज बोने से दो दिन पहले क्यारियों को
2 ग्राम कैप्टान प्रति लीटर की दर से उपचारित जरूर कर लें | बसंत कालीन/ गर्मी की
फसल के लिए 3-4 पत्तियों वाली स्वस्थ पौध की रोपाई डोलियों के ऊपर करें| गोल बैंगन
की पौध के लिए लाइनों के बीच 75 सेटीमीटर तथा पौधों के बीच फांसला 60 सेटीमीटर
रखें | रोपाई से पहले पौध की जड़ों को 500 मिलीग्राम टेट्रासाइक्लीन प्रति लीटर पानी की दर से बने घोल में 30 मिनट
तक डुबोएं | पौध रोपाई के लिए पलेवा करके 10-12 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डालें 4-5
जुताई व पाटा से लगाकर खेत तैयार करें | रोपाई के समय 30 किलोग्राम यूरिया 125
किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट तथा 16 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश भी मिटटी में
मिला दें | पौध रोपण के तुरंत बाद सिंचाई करें | दूसरी सिंचाई 4-5 दिन बाद तथा
सर्दियों में 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करते रहें | रोपाई के 30 और 60 दिन बाद 25-25 किलोग्राम
यूरिया प्रति एकड़ डालें | 3-4 बार निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकालते रहें | बैंगन
की लाइनों के बीच पौलिथिन बिछाकर भी खरपतवारों की बढ़वार रोकने के साथ साथ फसल की
बढ़वार तथा फल बनने की प्रकिया को बढ़ा सकते है | बैंगन के फलों की शाम को तुड़ाई-कटाई करें जब
उन्हें बाजार भेजना हो सही आकार के कोमल,सुंदर और चमक वाले कच्चे फल ही चाकू से
डंठल सहित शाम के समय काटने चाहियें | ताजा बनायें रखने के लिए फलों पर पानी का
छिड़काव करें और क्रेट्स या टोकरियों में
भरकर मंडी भेजें | बैंगन के फलों को पौलिथिन बैग्स में भरकर 2-4 दिन तक घर भी रख सकते है लेकिन बैंगन के
फलों को 10 से 11 डिग्री सेल्सियस तामपान और 92 प्रतिशत सापेक्षित आद्रर्ता पर 2
-3 सप्ताह के लिए भंडारित किया जा सकता है |
बैंगन की फसल
में हरा तेला व सफ़ेद मक्खी पत्तियों से रस चूसकर हानि पहुचाते हैं | इनके नियंत्रण
के लिए फल बनने शुरू होने तक 400 मिलीलीटर मैलाथियान 50 ई.सी घुले 200 लीटर पानी
का प्रति एकड़ छिड़काव 15 दिन के अंतर पर करें | फल बनते समय 80 मिलीलीटर फैनवेलरेट
20 ई.सी या 200 मिलीलीटर डेल्टामैथरीन 2.8 ई.सी को 200-250 लीटर पानी में घोलकर 21
दिन के फासले पर प्रति एकड़ स्प्रे करें | सब से भयानक कीड़ा गुलाबी सुंडी है यह फल
आने से पहले कोपलो में छेद करके पनपती है जिससे कोपले मुरझाकर सूख जाती है | ये
सुंडियां फलों में घुसकर उन्हें खोखला कर
देती है इन सुंडियों का प्रभाव देखते ही 75 ग्राम स्पाईनो सेड 45 एस.सी को 200
लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अंतर पर प्रति एकड़ स्प्रे करें | लाल अष्ट पदी माईट
नामक कीड़ें भी उपयोक्त स्प्रे से भी नष्ट हो जाते है |
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