पिंजौर के गुरविन्द्र सिंह ने किये मोबाईल से जुड़े अनेकों आविष्कार
पिंजौर शहर के
रहने वाले गुरविन्द्र सिंह का जन्म 6 अक्टूबर 1980 में हुआ । इनके पिता जी का नाम बलदेव सिंह व माता जी का नाम स्वर्गीय
सुरेन्द्र कौर है । इनके भाई का नाम
विक्रमजीत व बहन का नाम मनजीत कौर है ।इनके अपने छोटे
से परिवार में पत्नी अन्जु, बेटी जसविन्द्र कौर व बेटा
समीर है । गुरविन्द्र जी ने कालका के सरकारी कालेज से बी.ए. की है तथा उन्होंने कम्पयूटर इंजीनियरिंग की शिक्षा भी ग्रहण की है । उन्हें बचपन से ही इलेक्ट्रानिक्स की चीज़े बनाने का शौक रहा है । जब वह आठवीं कक्षा में थे तो उन्होंने अपने बड़े भाई ( जो उस समय इलेक्ट्रानिक्स में आई.टी.आई. कर रहे थे) की किताब से पढ़कर एक रेडियो तैयार किया। इसके बाद इनके आविष्कारों
का दौर शुरू हो गया ।
गुरविन्द्र जी
का कहना है कि उन्हें अपने किसी भी नवप्रर्वतन में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता
क्योंकि इनका मानना है कि अगर हम पहले से ही मन और मस्तिष्क में यह बैठा लें कि हमें क्या और कैसे करना है तथा फिर स कार्य
को पूरे आत्मविश्वास के साथ करें तो हमें कभी भी किसी मुसीबत का सामना नही करना पड़ेगा
अर्थात हम हर समस्या को आसानी से हल कर पायेंगे । क्या आप सोच सकते हैं कि एक हेलमेट की मदद से स्वचालित रूप से फोन कॉल प्राप्त
की जा सकती है ? 10 जुलाई सन् 2008 में गुरविन्द्र सिंह जी ने एक ऐसा ही आविष्कार
किया जिसके इस्तेमाल से एक साथ दो कार्य हो सकते हैं - एक तो वाहन चलाते समय हेलमेट पहनने से चोट का बचाव हो सकता है व ड्राइविंग करते
समय स्वचालित रूप से कॉल भी प्राप्त की जा सकती है । उन्होंने इस हेलमेट-कममोबाईल फोन
का आविष्कार दो हफ्तों में किया और इसे बनाने में 1000रूपये तक की कुल लागत आई है ।
गुरविन्द्र जी
ने बताया कि उन्हें इस प्रकार का हेलमेट बनाने का ख्याल तब आया जब एक बार मोटरसाइकिल
चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करते हुए उनका फोन गिर गया। तब उन्हें लगा कि इस प्रकार
के असंतुलन के कारण कई बार लोगों को बड़ी-बड़ी दुर्घटनाओं का सामना करना
पड़ता है । उन्हें महसूस हुआ कि कुछ ऐसी चीज़ बनाई जानी चाहिए जिससे फोन
कॉल को बिना मोबाइल उठाए ही सुन सकें । तब इन्होंने
हेलमेट-कम-मोबाइल फोन का आविष्कार किया ।
इस हेलमेट में सिम कार्ड डाल कर, बिना बटन दबाए
बात की जा सकती है । इस हेलमेट में कोई भी जी एस एम सिम कार्ड डल सकता है व कॉल आने पर निश्चित अवधि के
बाद स्वचालित रूप से कॉल प्राप्त कर सकते हैं । कॉल का जवाब स्वयं भी एक बटन दबा
कर दिया जा सकता है । इसके अलावा
ड्राइविंग करते समय आई मिस्ड कॉल को हेलमेट के साइड में लगाया गया एक बटन दबाकर कॉल दोबारा डॉयल कर सकते हैं । इस हेलमेट-कम-मोबाइल का
बैटरी बैकअप सात दिन का है । इस हेलमेट-कम-मोबाइल में
कोई भी साधारण सी बैटरी डल सकती है । यह आविष्कार
आज कल के व्यस्त लोगों के लिए लाभप्रद है। इस हेलमेट - कम -मोबाइल को
बनाने में उन्हें स्पीकर, रिंगर, सील्ड वायर, सिम जैक, बैटरी,मोबाइल पी.सी.बी. आदि की जरूरत
पड़ी। उन्होंने बताया कि उन्हें यह सब पदार्थ आसानी से प्राप्त भी हो गए थे । उन्होंने
यह भी बताया कि हेलमेट को तैयार करने में अपशिष्ट अर्थात बेकार पदार्थों का भी इस्तेमाल
किया है। उनके इस आविष्कार में उनके परिवार व उनके मित्रों ने उनका पूरा सहयोग दिया
है । उनके मित्रों का कहना है कि
गुरूविन्द्र जी ने ‘वन मैन आर्मी’ की कहावत को
सिद्ध कर दिखाया है तथा पेशेवर डिग्री न होते हुए भी उन्होंने अनेकों नवीन उपकरण बनाए हैं । उनके मित्र का कहना है
कि गुरविन्द्र सिंह को सिर्फ प्रोत्साहन की ज़रूरत है।
हेलमेट-कम-मोबाइल आविष्कार
के अलावा उन्होंने बहुत से और आविष्कार भी किए हैं जैसे, वॉटर प्रूफ मोबाइल, 24 फुट लंबा हेलीकॉप्टर जो कि थ्रीव्हीलर के इंजन से बनाया गया
है , वायरलैस लैंडलाइन फोन बनाने के बाद उन्होंने जूते में मोबाइल
फोन बनाया । यह मोबाइल फोन जूते की एड़ी में लगाया गया है तथा इसमें एड़ी
के बाहर से सिम कार्ड डाला जा सकता है। इस फोन में विभिन्न कंपनियों के फोनों के पुर्जे
लगाए गए हैं । गुरविन्द्र जी ने इसके अलावा
पानी की बोतल में मोबाइल फोन लगाया है । फोन की बैटरी
व अन्य उपकरण पानी की बोतल के भीतर ही फिट किए गए हैं । इस मोबाइल में पानी भरा होने के बावजूद भी आसानी से बात कर सकते हैं । हेलमेट-कम-मोबाइल नवप्रवर्तन के लिए ‘लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स ' में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए इन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । फिर तकरीबन एक साल की कड़ी मेहनत के
बाद वह अपना और अपने इस नवप्रर्वतन का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स ' में दर्ज कराने
में सफल रहे ।
गुरविन्द्र सिंह, 94674548
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