“मृदा स्वास्थय कार्ड”
किसान भाइयों ! आज हम किसान संचार
जीरकपुर निकट चंडीगढ़ के सौजन्य से आपको यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि आपके
खेतों की मिटटी की जाँच क्यों जरूरी है | साथियों ! मिटटी की जाँच कराने का मूल
उद्देश्य है कृषि उत्पादन बढ़ाने हेतु खादों का संतुलित प्रयोग एवं खेत की मिटटी का
अच्छा प्रबंध करना | बिना मिटटी जाँच के खादों का देना वैसा ही है जैसे डॉक्टर की सलाह
लिए बिना अपने इलाज के लिए दवाई खाना |
जमीन सभी पोषक तत्वों
का भंडार है जो पौधों को सहारा व भोजन प्रदान करती है | पौधों को अपने सही विकास
के लिए 16 पोषक तत्वों की जरूरत होती है | इनमें से कार्बन,हाइट्रोजन व् ऑक्सीजन |
तो पौधे हवा और पानी से लेते हैं | नाईट्रोजन,फास्फोरस एवं पोटाश को मिटटी से लेते
हैं | इनकी ज्यादा मात्रा में पौधों को जरूरत पड़ने के कारण ये मुख्य पोषक तत्व
कहलाते हैं | कैल्सियम मैग्नीशियम तथा गंधक की पौधों को कम मात्र में जरूरत पडती
है फ़लस्वरूप ये गौण पोषक तत्व कहलाते हैं | लोहा,जस्ता ,मैगनीज,ताम्बा,बोरोन,मोलिव्डेनम
और क्लोरीन जैसे तत्वों को जरूरी तौर पर किन्तु बहुत ही कम मात्रा में पौधे लेते
हैं | इसी कारण ये तत्व सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं | मिटटी में इन पोषक तत्वों
की उपस्थिति असंतुलित होने पर कई प्रकार के प्रभाव फसलों पर पड़ने के कारण उत्पादन
में कमी आती है | खर्च बढ़ता है तथा मृदा की सरंचना व् उत्पादकता भी घटती जाती है |
केंद्र व् राज्य सरकारों के प्रयास रहे हैं कि किसान अपने खेतों की मांग और पूर्ति
को पहचाने | इसलिए बिभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को जानकारी दी
जाती रही है | ग्यारहवीव बारहवी पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार व प्रदेश सरकारों
ने मिटटी की भौतिक व जैविक सरंचना को समृध्द बनाने के लिए ही मृदा स्वास्थय कार्ड
योजना पूरे देश में व्यापक रूप से क्रियान्वित करने का अभियान चलाया है इस मृदा
स्वास्थय कार्ड अभियान की सबसे पहले और सबसे अधिक जरूरत उन पर दराज स्थित किसानों
को है जहाँ संचार साधनों की कमी के साथ ही कृषि प्रसार सेवाओं की भी भारी कमी है |
तथा भूमि जोत छोटी,कम सिंचित या असिंचित है |
किसान
को नाम मात्र की राशी खर्च करके यदि (पंजाब व् हरियाणा में मुफ्त) यह ज्ञात हो जाय
कि किस खेत की फसल में कौन सी खाद कितनी चाहिए तो यह लाभ का सौदा ही है | मृदा
परीक्षण रिपोर्ट से खादों की मात्रा का अंदाजा नहीं सही मात्रा का पता चलता है |
यह जाँच रिपोर्ट पौष्टिक तत्वों की सही मात्रा सुझाती है | इसका पालन करने पर व सिंचाई की अनावश्यक मात्रा पर होने वाले खर्च
और समय व्यर्थ होने से बचा जा सकता है | इसलिए किसानों को अपने सभी खेतों की मिटटी
का साथ ही कुँओं व नलकूपों के पानी का भी परीक्षण जरुर कराना चाहिए | मिटटी व पानी
की जाँच से मिटटी में लवणता,क्षारीयता तथा अम्लीयता (पी.एच.मान) का उचित सुधार करके मिटटी को कृषि योग्य
बनाया जा सकता है | भारत सरकार उपरोक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए मिटटी
परीक्षण आधारित संतुलित एवं उचित रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के साथ-साथ जैव
उर्वरकों और स्थानीय रूप से उपलब्ध जैविक खादों को बढ़ावा दे रही है |
केंद्र
सरकार मिटटी परीक्षण प्रयोग शालाओं को सुद्रढ़ करने नयी प्रयोगशालाएं बनाने के लिए
राज्य सरकारों को सहायता देती है | कुछ राज्यों ने मृदा स्वास्थय कार्ड जारी भी
किये किन्तु इन राज्यों के बीच नमूने लेने,जांच करने और मृदा स्वास्थय कार्ड वितरण
करने में एक समान प्रतिमान नही रखे गये | अब पहली बार भारत सरकार ने मृदा स्वास्थय
प्रणालियों को बढ़ाने और मृदा स्वास्थय को पुन:स्थापित करने के लिए मृदा स्वास्थय
कार्ड योजना शुरू की हैं जो तीन साल की अवधि में एक बार 14 करोड़ जोतों को कवर
करेगी | मृदा स्वास्थय कार्ड योजना राज्य सरकारों को मृदा स्वास्थय कार्ड जारी
करने और सेवा सुपुर्दगी को सुधारने के लिए एक डाटा बेस विकसित करने में भी सहायता
करेगी | यह डाटाबेस वर्तमान में चल रही स्कीमों में तीव्र तथा निम्न लगन के निदान
तकनीकों,मोबाइल प्रयोगशालाओं,पोर्टेबल मिटटी परीक्षण किट तथा रैफरल प्रयोगशालायों
में क्षमता निर्माण मजबूती को बढ़ावा देता है | यह पोषक तत्वों में कमी के निदान
एवं प्रबन्धन तथा वैज्ञानिक विशेषज्ञता की व्यवस्था के लिए उन्नत एवं लक्षित दिशा
निर्देश प्रदान करता है | भारत सरकार की योजना के अनुसार राष्ट्रीय सहमति
प्रतिमान/मानक 10 हेक्टेयर वर्षा सिंचित क्षेत्रों से और 2.5 हेक्टेयर सिंचित
क्षेत्रों से मृदा नमूने एकत्र करने के लिए प्रयुक्त किया जायगा |किसानों से 2.53
करोड़ नमूने एकत्र किये जायेंगे और तीन वर्षों में एक बार 14 करोड़ मृदा स्वास्थय
कार्ड तैयार करने के लिए इन नमूनों का परीक्षण किया जाएगा | वर्ष 2015-16 के लिए
84 लाख नमूनों का लक्ष्य है जिनमें से 34 लाख नमूने पहले ही लिए जा चुके हैं |
मृदा स्वास्थय
कार्ड कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए केंद्र कृषि एवं सहकारिता विभाग मानव श्रम
तथा मृदा स्वास्थय कार्ड की अवधारणा को सशक्त करने के लिए आई.सी.ए आर तथा राज्य
सरकारों के संसाधन एकत्र कर रहा है इस तरह सभी आई.सी.ए.आर, के.वी.के, राज्य सरकार
प्रयोगशालाएँ तथा राज्य कृषि विश्व विद्यालय शामिल हैं | रसायन विज्ञान के छात्रों
को भी इस अभियान में शामिल करना प्रस्तावित है | भारत सरकार द्वारा “एक मृदा स्वास्थय कार्ड सॉफ्ट वेयर
“विकसित किया गया है | जिसमें मृदा नमूनों के पंजीकरण,इनकी जाँच रिपोर्ट की
रिकॉर्डिंग और उर्वरक सिफारिशों के साथ-साथ मृदा स्वास्थय कार्ड तैयार करने के लिए
“मृदा
स्वास्थय कार्ड पोर्टल” विकसित किया गया है जिसके लिए यू.आर.एल www.soilheath.dac.gov.in पर संपर्क कर सकते हैं |
यह सॉफ्ट वेयर आगे बताये जा रहे
माड्यूलो के साथ एक कार्य प्रवाह आधारित प्रणाली है |
1.मृदा नमूने एकत्रीकरण |
2.मृदा परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा
जाँच परिणामों की प्रविष्टि |
3.एस.टी.सी आर और जी.एफ आर पर
आधारित उर्वरकों की सिफारिशें |
4.उर्वरक सिफारिश एवं सूक्ष्म पोषक
तत्वों के सुझावों के साथ-साथ मृदा स्वास्थय कार्ड तैयार करने|
5.प्रगति की निगरानी के लिए
एस.आई.एस माड्यूल से सम्बन्ध |
भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अनुसार
यह पोर्टल समान रूप से कोड अपनाने को बढ़ावा देता है | जैसे स्थान के लिए गणना कोड
| इस प्रणाली में नमूने का पता लगाने की विशेषता है साथ ही यह किसानों को एस.एम.एस
और ई-मेल के द्वारा नमूना पंजीकरण और मृदा स्वास्थय कार्ड बनाने के बारे में अलर्ट
भी देता है | मृदा स्वास्थय कार्ड पोर्टल को इस लिए विकसित किया गया है | ताकि
आई.सी.ए.आर द्वारा विकसित मृदा परीक्षण फसल अनुक्रिया फार्मूला या राज्य सरकारों
द्वारा प्रदान की गयी सामान्य उर्वरक सिफारिशों के आधार पर मृदा स्वास्थय कार्ड
बनाकर जारी किये जा सके | परीक्षण के परिणामों के आधार पर यह प्रणाली स्वत:
सिफारिश गणना करेगी साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्त्वों केंद्र सरकार की यह भी परिकल्पना
है कि इस प्रणाली के द्वारा अनुसंधान और नियोजन में भविष्य के लिए मृदा स्वास्थय
पर राष्ट्रीय डाटाबेस का निर्माण भी किया जाय |
साथियों! “मृदा स्वास्थय कार्ड योजना” को क्रियान्वित
करने के लिए 12 वी पंचवर्षीय योजना के दौरान 568.54 करोड़ रुपये खर्च करने की
स्वीकृती भारत सरकार के प्रदान की है तथा वर्ष 2015-16 के लिए इस योजना हेतु 50
प्रतिशत केन्द्रीय अंशदान के रूप में 96.46 करोड़ रुपये राज्य सरकारों को आवांटित
किये गए हैं | शेष 50 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है |
किसान भाईयों ! भारत सरकार ने कृषि के उत्पादन व
उत्पादकता को बढ़ाने में कृषि भूमि को समृध्द करने की महत्ता को अपना व्यापक समर्थन
व् सहयोग देकर “मृदा स्वास्थय कार्ड” बनाने व् कृषकों तक पहुचाने का व्यापक
कार्यक्रम शुरू किया है | तो अब बारी हम किसान भाईयों की है कि हम उर्वरकों के
अंधाधुंध प्रयोग के कारण कीटों द्वारा फसलों में बढ़ रहे नुकसान को कम करने के साथ
मृदा की भौतिक जैविक व कार्बनिक सरंचना में वृद्धि करने के लिए अपने सभी कृषि गत
खेतों की मिटटी के मृदा स्वास्थय कार्ड बनवायें | आपके सम्बन्धित कृषि कार्यालय की
एक टीम निश्चित तिथि को आपके गाँव में आकार आपके खेतों से मृदा के नमूने लेगी तब आप
को उस टीम के साथ रहकर खेतों के खसरा न.पिछले वर्षों में बोयी गयी फसलों के नाम,आगे बोयी जाने वाली फसलों के नाम आदि
सही-सही जानकारी देनी चाहिए | बहुत अच्छा
होगा यदि अपने कुए या टयूब बैल के पानी की जाँच हेतु पानी का नमूना भी इस
टीम को उपलब्ध करा दें | मृदा स्वास्थय
कार्ड बनवाने हेतु आप स्वयं भी अपने कृषि विकास अधिकारी या खंड कृषि अधिकारी से
संपर्क कर सकते हैं |
किसान संचार को आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि
किसान भाई अपने व देश हित में “मृदा स्वास्थय कार्ड” योजना करें | सही
तरीके से लागू कराने में अपना पूरा सक्रिय सहयोग देंगे |
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