उन्नत
किस्में :
कोयम्बटूर
लौंग :-
यह किस्म गर्मी के मौसम की अपेक्षा बरसात के
मौसम के लिए अधिक उपयुक्त है | पौधों का फैलाव अच्छा होता है व काफी फल लगते है |
फल लम्बे,सफ़ेद रंग के व कच्चे होते है |
पूसा
दो-मौसमी:-
यह
किस्म गर्मी व बरसात दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है पहली तुड़ाई 55-60 दिन में हो
जाती है | बेलें काफी फैलती हैं व इनका तना गहरे-हरे रंग का होता है | पत्ते
चौड़े,गहरे कटाव वाले,हरे रंग के रोएंदर होते हैं | फल लम्बे व मध्मय मोटाई वाले
होते हैं | हरे फलों पर बिना कटी हुई लगातार धारियां होती हैं तथा इनकी सतह चिकनी
होती हैं |
भूमि
की तैयारी :-
जैसा
कि खरबूजा में बताया गया है |
बिजाई
का समय:-
गर्मी
की फसल के लिए फरवरी-मार्च तथा बरसात की
फसल के लिए जून-जुलाई का समय उपयुक्त है |
बीज
की मात्रा :-
एक
एकड़ के लिए 1.5 से 2.0 किलोग्राम बीज काफी
रहता है |
बिजाई
की विधि:-
बीज
को 1.5 मीटर चौड़ी उठी हुई क्यारियों में नालियों के किनारों पर लगाया जाता है | दो
पौधों के बीच 45 सेटीमीटर का फासला रखें | बिजाई
से पहले बीज को रात भर पानी में भिगोकर रखें | ऐसा करने से अंकुरण जल्दी
होता है |
फलों
की तुड़ाई व पैदावार :-
खाने
के लिए हल्के-हरे रंग के कच्चे फल ही तोड़ें | गर्मी की फसल से 24-30 किवंटल तथा
बरसात की फसल से 40 किवंटल प्रति एकड़ पैदावार हो जाती है |
वृद्धि
नियामक का प्रयोग:-
पूसा
दो मौसमी किस्म में 2 व 4 सच्ची पत्तियां आने पर “साइकोसिल” 250 पी.पी.एम.( 10
मिलीलीटर “साइकोसिल” 50 प्रतिशत को 20 लीटर पानी में घोल दें ) का छिड़काव करने से
पैदावार बढ़ जाती है |
करेला की खेती के बारे में जानने के लिए निचे दिए गए विडियो के लिंक पर क्लिक करें |
Video link:-https://www.youtube.com/watch?v=nKKEDRstwaU
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