Total Pageviews

Monday, October 31, 2016

करेला की उन्नत खेती कैसे करें

उन्नत किस्में :

कोयम्बटूर लौंग :-
यह किस्म गर्मी के मौसम की अपेक्षा बरसात के मौसम के लिए अधिक उपयुक्त है | पौधों का फैलाव अच्छा होता है व काफी फल लगते है | फल लम्बे,सफ़ेद रंग के व कच्चे होते है |

पूसा दो-मौसमी:-
यह किस्म गर्मी व बरसात दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है पहली तुड़ाई 55-60 दिन में हो जाती है | बेलें काफी फैलती हैं व इनका तना गहरे-हरे रंग का होता है | पत्ते चौड़े,गहरे कटाव वाले,हरे रंग के रोएंदर होते हैं | फल लम्बे व मध्मय मोटाई वाले होते हैं | हरे फलों पर बिना कटी हुई लगातार धारियां होती हैं तथा इनकी सतह चिकनी होती हैं |

भूमि की तैयारी :-
जैसा कि खरबूजा में बताया गया है |

बिजाई का समय:-
गर्मी की फसल के लिए फरवरी-मार्च  तथा  बरसात की  फसल के लिए जून-जुलाई का समय उपयुक्त है |

बीज की मात्रा :-
एक एकड़ के लिए  1.5 से 2.0 किलोग्राम बीज काफी रहता है |

बिजाई की विधि:-
बीज को 1.5 मीटर चौड़ी उठी हुई क्यारियों में नालियों के किनारों पर लगाया जाता है | दो पौधों के बीच 45 सेटीमीटर का फासला रखें | बिजाई  से पहले बीज को रात भर पानी में भिगोकर रखें | ऐसा करने से अंकुरण जल्दी होता है |

फलों की तुड़ाई व पैदावार :-
खाने के लिए हल्के-हरे रंग के कच्चे फल ही तोड़ें | गर्मी की फसल से 24-30 किवंटल तथा बरसात की फसल से 40 किवंटल प्रति एकड़ पैदावार हो जाती है |

वृद्धि नियामक का प्रयोग:-
पूसा दो मौसमी किस्म में 2 व 4 सच्ची पत्तियां आने पर “साइकोसिल” 250 पी.पी.एम.( 10 मिलीलीटर “साइकोसिल” 50 प्रतिशत को 20 लीटर पानी में घोल दें ) का छिड़काव करने से पैदावार बढ़ जाती है |

करेला की खेती के बारे में जानने के लिए निचे दिए गए विडियो के लिंक पर क्लिक करें |



No comments:

Post a Comment