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Monday, November 7, 2016

अनार की उन्नत खेती कैसे करें

अनार पौष्टिक गुणों से परिपूर्ण,स्वादिष्ट रसीला एवं मीठा फल है | अनार का रस स्वास्थ्यवर्धक तथा स्फूर्तिदायक होता है | इसके फलों के छिलकों से पेट की बिमारियों की दवाईयां तैयार की जाती है | इसके दानों को धूप में सुखाकर ‘अनारदाना’ भी बना सकते है, जिसका उपयोग विभिन्न व्यंजन बनाने में किया जाता है मेवाड़ अंचल में विशेषकर भीलवाड़ा,चित्तौडगढ़,राजसमन्द आदि जिलों की जलवायु इसकी खेती के लिए अनुकूल है |
जलवायु:- शुष्क एवं अर्ध शुष्क जलवायु अनार उत्पादन के लिए बहुत ही उपयुक्त होती है | पौधों में सूखा सहन करने की अत्यधिक क्षमता होती है | परन्तु फल विकास के समय नमी आवश्यक है | अनार के पौधों में पाला सहन करने की भी क्षमता होती है | फलों के विकास में रात के समय ठण्डक तथा दिन में शुष्क गर्म जलवायु काफी सहायक होती है | ऐसी  पारिस्थितियों में दानों का रंग गहरा लाल तथा स्वाद मीठा होता है | वातावरण एवं मृदा में नमी के अत्यधिक उतार-चढ़ाव से फलों में फटने की समस्या बढ़ जाती है तथा उनकी गुणवत्ता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है |
भूमि:- अनार लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है परन्तु अच्छी पैदावार के लिए जल निकासयुक्त बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी एच मान 7 से 8 के मध्य होता है,उपयुक्त होती है | इसके पौधों में लवण एवं क्षारीयता सहन करने की भी क्षमता होती है |

उन्नत किस्म:-  
भगवा:- इस किस्म के पौधे माध्यम ऊंचाई के होते है | फल आकार में बड़े एवं लाल रंग के होते है |  दाने लाल,रसदार और मीठे एवं खाने में स्वादिष्ट होते है | औसत उपज 20-25 किलो फल प्रति पेड़ है | फल 180-190 दिन में तैयार होते है |
मृदुला :- यह एक अच्छी उपज देने वाली संकर किस्म है | जो गणेश तथा रुसी किस्मों के संयोग से प्राप्त हुई है | इसके फल का आकर मध्यम,रंग लाल तथा देने  गहरे लाल रंग के होते है | फल 140-150 दिन में तैयार होते है |
गणेश:- इस किस्म के पौधे सदाबहार व मध्यम ऊंचाई के होते  है | फल आकार में बड़े एवं पीले-लाल रंग के होते है | दाने हल्के गुलाबी,रसदार और मीठे एवं खाने में स्वादिष्ट होते है | औसत उपज 40-100 फल प्रति पेड़ है |
प्रवर्धन :- अनार के पौधे कलम( कटिंग) एवं गुट्टी से तैयार किये जा सकते है कलम से  पौधे तैयार करने के लिए एक वर्ष पुरानी शाखाओं से प्राप्त 9-10 इंच लम्बी कलमों को 1000 पी.पी.एम.IBA अथवा सेरेडेक्स बी या रूटेक्स से उपचारित करके पौधशाला में लगाते है | कलम लगाने के लिए जनवरी-फरवरी अथवा जून-जुलाई का समय अधिक उपयुक्त होता है |
      गुट्टी द्वारा भी अनार के पौधे तैयार किए जाते है | एक वर्ष पुरानी शाखा से लगभग 2.5-5.0 सेटीमीटर लम्बाई में छाल हटा देते है | उसके  पश्चात इसके उपरी भाग पर 10,000 पीपीएम आई.बी ए.हार्मोन लगा देते है | इसके पश्चात् अच्छी जड़ विकास होने पर इसको पेड़ से काट कर नर्सरी में लगा देते है |
पौधे लगाना :- दूरी 5 गुना 5 मीटर या 5 गुना 4 मीटर,गड्डे का आकार 100 सेटीमीटर गुना 100 सेटीमीटर रखे |
गड्ढे भराई का मिश्रण :- प्रत्येक गड्डे में 5-7 किलो वर्मीकम्पोस्ट अथवा 20-25 किलो गोबर की खाद,1 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 100 ग्राम मिथाइल पैराथियान चूर्ण को मिट्टी उपलब्ध हो तो उसकी भी कुछ मात्रा गड्डे में डालनी चाहिए | गड्डे को मानूसन आने से पहले ही भर देना चाहिए | पौधे लगाने का कार्य जुलाई-अगस्त अथवा फरवरी मार्च में करना चाहिए |

अन्तराशस्य :- आरम्भ के तीन वर्षों तक बाग में सब्जियां,दाल वाली फसलें आदि ली जा सकती है

साधना :- अनार के पौधों को उचित आकार व ढांचा देने के लिए स्थाई एवं काट-छांट की नितांत आवश्यकता होती है | इस स्थान पर चार तने रखकर अन्य शाखाओं को हटाते रहें |
सिंचाई :- अच्छी गुणवत्ता एवं अधिक फल उत्पादन के लिए गर्मी के मौसम में 7-10 दिन के अन्तराल पर तथा सर्दी में 15-20 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए | फल विकास के समय वातावरण तथा मृदा में नमी का अंसतुलन रहता है | तो फल फट जाते है | इसके लिए फल विकास के समय भूमि तथा वातावरण से निरतंर पर्याप्त नमी बनाये रखनी चाहिए |
                   खाद एवं उर्वरक
अनार के पौधों को निम्न तालिका के अनुसार खाद एवं उर्वरक देवें
पेड़ की आयु वर्ष मे
                      मात्रा किलोग्राम प्रति पौधा

गोबर की खाद
यूरिया
सुपर फास्फेट
पोटाश
1 वर्ष
8-10
0.100
0.250
0.500
2 वर्ष
16-20
0.200
0.500
0.050
3 वर्ष
24-30
0.300
0.750
0.100
4 वर्ष
32-40
0.400
1.0
0.150
5 वर्ष
40-50
0.500
1.25
0.150

मृग बहार के लिए गोबर की खाद,सुपर फास्फेट,म्यूरेट ऑफ़ पोटाश की पूरी मात्रा व यूरिया की आधी मात्रा को जून माह में तथा शेष यूरिया को सितम्बर माह  में देना चाहिए | अम्बे बहार के लिए गोबर खाद ,सुपर फास्फेट,म्यूरेट ऑफ़ पोटाश की पूरी मात्रा व यूरिया की आधी मात्रा को दिसम्बर-जनवरी माह में तथा शेष यूरिया को अप्रैल माह में देना चाहिए |
बहार नियंत्रण :-  अनार में वर्ष में तीन बार फूल आते है,जिसे ‘बहार’ कहते हैं |
1.अम्बे बहार (जनवरी-फरवरी)
2.मृग बहार (जून-जुलाई )
3.हस्त बहार (सितम्बर-अक्टूबर )
      वर्ष में कई बार फूल आना व फल आते रहना उपज एवं गुणवत्ता की दृष्टि से ठीक नही रहता है | इसलिए अवांछित बहार का नियंत्रण कर जलवायु के अनुसार कोई एक बहार की फसल लेना लाभदायक रहता है |
बहार नियंत्रण :- तीनों बहारों में से कोई एक इच्छित बहार का उत्पादन लेने हेतु किए जाने वाले प्रबन्ध को ‘बहार उत्पादन’ कहा जाता है | जिसका जल उपलब्धता,बाजार भाव,गुणवत्ता इत्यादि के अनुरूप चयन किया जाता है |
      मृग बहार लेने के लिए पौधों में मार्च-अप्रैल में सिंचाई बंद कर  दी जाती है | तथा मई माह में थावलों की खुदाई करके खाद एवं उर्वरक दिये जाते है तथा हल्की सिंचाई की जाती है | जिससे जून-जुलाई में फूल आते है | फल के विकास के समय आवश्यकतानुसार लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए |
      अम्बे बहार लेने के लिए पौधों को दिसम्बर माह में पानी बंद कर देना (तान देना ) चाहिए | जनवरी माह में दूसरे सप्ताह में खाद व उर्वरक देने के पश्चात् सिंचाई करनी चाहिए | जिसके फलस्वरूप फरवरी मार्च में फूल आते है |
रसायन द्वारा पत्तियों को गिराना :- 30 से 40 दिन मिट्टी की स्थिति के अनुसार पानी बंद रखा जाता है | पौधों में जब तनाव के लक्षण दिखाई देवें तब इथरल 2 मिलीलीटर/लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करके पत्तियों को गिराया जाता है | इसके पश्चात् एक हल्की सिंचाई करनी चाहिए तथा खाद व उर्वरक देकर सिंचाई करनी चाहिए | इस प्रकार से पौधों पर भरपूर फूल आएंगे |
बहार
फूल आना
फलों की तुड़ाई
नोट
अम्बे बहार
जनवरी-फरवरी
जुलाई –अगस्त
अधिक फूल व फल,फलों का रंग कम लाल
मृग बहार
जून-जुलाई
दिसम्बर –जनवरी
कीट व बीमारी का ज्यादा प्रकोप
हस्त बहार
सितम्बर-अक्टूबर
फरवरी-अप्रैल
कम कीट व बीमारी का प्रकोप फलों की गुणवत्ता अच्छी,कम फूल व फल

अनार की खेती के बारे में जानने के लिए निचे दिए गए विडियो के लिंक पर क्लिक करें |

Video link:https://www.youtube.com/watchv=3yI7nUcrR7I                                                                                                                   

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