किस्में :-
शहतूत की कोई विशेष किस्म
नहीं है | कुछ लोकल किस्में हैं जोकि सफ़ेद और काली जाति की हैं |
प्रवर्धन विधि :-
इसके पौधे,कमल और चश्मा चढ़ाकर तैयार किए जाते है | पौधों की
4-5 आंख की कलमें नर्सरी में लगाई जाती है और जुलाई से अगस्त तक चश्मा चढ़ाया जाता
है |
मिटटी :-
इसे सभी प्रकार की मिटटी
में लगाया जा सकता है इसे विशेषकर चकनी दोमट या रेतीली दोमट भूमि में लगाना चाहिए
|
पौध लगाना :-
अक्टूबर-नवम्बर के महीने 60 गुना 60 गुना 60 गुना सेटीमीटर के
गड्ढे 6 गुना 6 मीटर की दूरी पर तैयार करने चाहिएं | गढ्ढे को कुछ दिन खाली रख कर
उसमें 2-3 टोकरे गोबर की खाद मिलाकर मिटटी भर देनी चाहिए |
काट-छांट :-
शहतूत में काट-छांट बहुत
जरूरी है | अच्छी पैदावार के लिए सालाना गहरी कटाई करनी चाहिए |
सिंचाई :-
मार्च से जून तक 3-4 बार
सिंचाई अवश्य करनी चाहिए |
उर्वरक :-
50-80 किलोग्राम गोबर की
खाद दिसम्बर के महीने में देनी चाहिए |
शहतूत की खेती के बारे में जानने के लिए निचे दिए गए विडियो के लिंक पर क्लिक करें |
Video link: https://www.youtube.com/watch?v=J1QoG34ouSM
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